कार्यकर्ताओं के बीच रहकर उनके दुख -सुख में शामिल होने वाले को बनाया जाए प्रत्याशी।
धनबाद/झारखंड: लोकसभा चुनाव 2024 में धनबाद संसदीय सीट कांग्रेस पार्टी के लिए चू चू का मुरब्बे जैसा था। फिर से दुबारा विधानसभा चुनाव में भी वही हालत धनबाद सीट पर बन गई है। रांची से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस पार्टी पसोपेश असमंजस में फंसी हुई है।
धनबाद विधानसभा सीट की वजह से झारखंड की 6 और अन्य सीटों को उलझा कर रखे हुई है। सूत्रों का दावा है कि बोकारो सीट भी इसमें एक फैक्टर हो सकती है?
कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता भी उलझन असमंजस में है। कुछ समझ नहीं पा रहे है। वोटरों के सवाल का जवाब भी नहीं दे पा रहे है।
भाजपा के प्रत्याशी चुनाव प्रचार में जुट गए हैं और कांग्रेस को अभी उम्मीदवार की प्रतीक्षा है! ऐसी हालत में कार्यकर्ताओं की हालत इधर -उधर की हो गई है।
बताते चलें कि झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 7 सीटों को होल्ड पर रखा है। इन सीटों में कुछ तो ऐसी है, जिनके नामांकन की तिथि 25 अक्टूबर को खत्म हो रही है।
इनमे पाकुड़, धनबाद, बोकारो सहित सात सीट फंसी हुई है। यह अलग बात है कि धनबाद और बोकारो में वोटिंग दूसरे चरण में होगी।
धनबाद सीट को लेकर कई तरह की बातें हवा में तैर रही है। कहा जा रहा है कि “पैराशूट” दावेदारों की वजह से धनबाद सहित अन्य सीट फंसी हुई है।
धनबाद से जिन उम्मीदवारों की चर्चा चल रहा हैं। उनमें अजय दुबे सहित मयूर शेखर झा के नाम भी सामने आ रहें हैं।
धनबाद के जमीनी कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मानना हैं कि पार्टी किसी वैसे दावेदार को प्रत्याशी बनाए, जो हर वक्त कार्यकर्ताओं के बीच रहता हो। उनके दुख -सुख में शामिल रहता हो।
हरियाणा में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस पार्टी की जबरदस्त किरकिरी हो चुकी है। झारखंड में भी कहीं यही स्थिति ना हो जाए, समर्पित कार्यकर्ता यही सोचकर चिंतित और बेचैन है।
सूचना है कि पाकुड़ में पार्टी निर्णय नहीं कर पा रही है कि आलमगीर आलम को ही चुनाव लड़ाया जाए या उनकी पत्नी अथवा बेटे को। यह भी चर्चा है कि आलमगीर आलम की पत्नी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। ऐसे में पाकुड़ सीट से पार्टी किसे उम्मीदवार बनाती है, यह देखने वाली बात होगी। कहीं पार्टी आलमगीर आलम को ही पाकुड़ से उम्मीदवार बना दें। फिलहाल आलम जेल में है।
इधर, धनबाद सीट को लेकर कई नाम की चर्चा है। उन चर्चाओं में अशोक सिंह, अभिजीत राज, मयूर शेखर झा, विजय कुमार सिंह, शमसेर आलम, राशिद रजा अंसारी, रवि चौधरी जैसे कई नाम है। तो कही धनबाद सीट पर अल्पसंख्यकों को टिकट देने की डिमांड है। कुछ कहते हैं बोकारो की वजह से भी धनबाद सीट फंसी हुई बताई जा रही है।
सवाल उठता है कि क्या लोकसभा की तरह विधानसभा में भी कांग्रेस पार्टी “आत्मघाती” कदम उठाएगी। जबकि लोकसभा चुनाव में भी “पैराशूट’ उम्मीदवार पर कांग्रेस ने भरोसा किया था, नतीजा सबके सामने है। वैसे भी भाजपा की ओर से प्रत्याशी अपना चुनाव प्रचार शुरू कर चुके हैं लेकिन कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशियों तक की घोषणा नहीं की है। अब आगे क्या होगा ये तो वक्त ही बताएगा?