असम के पूर्व राज्यपाल ने सुनाए आपातकाल के संस्मरण
शताब्दी वर्ष बैठक में डीयू के पूर्व शिक्षकों ने याद किए पुराने दिन
लम्बा सफर, नई दिल्ली, 16 जून।
दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में अपने पूर्व शिक्षकों को भी याद किया गया। इसके लिए गुरुवार देर सांय “सेंटेनरी इयर मीट ऑफ द फॉर्मर फ़ैकल्टि ऑफ यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर असम के पूर्व राज्यपाल एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर जगदीश मुखी बतौर मुख्यातिथि उपस्थित रहे। समारोह की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। प्रो. जगदीश मुखी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े अपने जीवन के कई किस्सों को याद करते हुए आपातकाल से जुड़े संस्मरण भी सुनाए।
प्रो. जगदीश मुखी ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने 100 वर्षीय जीवन में विशेष पहचान बनाई है। प्रो. मुखी ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय पूरे देश के लोगों की पहली पसंद है। उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पूर्व शिक्षकों के लिए इस कार्यक्रम के आयोजन हेतु दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह को बधाई भी दी। प्रो. मुखी ने अपने छात्र जीवन के संस्मरण याद करते हुए बताया कि 1965 में बी.कॉम. करने के बाद उनके पास आईआईएम अहमदाबाद का विकल्प था, लेकिन उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स को चुना। उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में उन्होने छात्र राजनीति से लेकर शिक्षक संगठनों तक में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होने बताया कि जब 1975 में देश में आपातकाल लगा तो दिल्ली विश्वविद्यालय के अनेकों शिक्षकों को भी जेल में डाल दिया गया था। प्रो. मुखी ने शिक्षक और शिक्षार्थी के संबंधों और सम्मान के महत्व का उल्लेख करते हुए उस वक्त एक किस्से का वर्णन किया, जब एक एसडीएम ने एक शिक्षक की जमानत इसलिए ले ली थी, क्योंकि वह उक्त एसडीएम के शिक्षक रहे थे और वह उन्हें भली प्रकार जानते थे कि ये व्यक्ति कोई गलत काम नहीं कर सकते। प्रो. मुखी ने बताया कि उसके बाद अगले 10-15 दिनों में बाकी शिक्षकों को भी जमानत मिल गई थी, जबकि उससे पहले कोई भी उनकी जमानत स्वीकार नहीं कर रहा था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित विस्तृत जानकारी साझा की। कुलपति ने दिल्ली विश्वविद्यालय की 100 वर्ष की गौरव पूर्ण यात्रा का जिक्र करते हुए इसमें योगदान हेतु सभी पूर्व शिक्षकों का आभार जताया। उन्होने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय आप लोगों के बहुमूल्य योगदान और कठोर परिश्रम की बदौलत ही आज देश-दुनिया में अपनी विशेष पहचान रखता है। उन्होने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय को आप सभी शिक्षकों पर गर्व है और पूरा विश्वविद्यालय परिवार आपके प्रति आभार प्रकट करता है। कुलपति ने शताब्दी वर्ष की उपलब्धियों पर विस्तार से जानकारी साझा करते हुए बताया कि इस वर्ष में अब तक 2006 शिक्षकों की नई नियुक्ति की जा चुकी है और 5910 शिक्षकों को प्रमोट किया जा चुका है। इनके अतिरिक्त गैर शिक्षक वर्ग की भी सैंकड़ों नई नियुक्तियां और प्रमोशनें हुई हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय शिक्षा और ढांचागत सुविधाओं में निरंतर विस्तार कर रहा है। उन्होने आंकड़ों सहित जानकारी देते हुए बताया कि 330 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य जारी हैं। लड़कियों के लिए हॉस्टल की समस्या को देखते हुए ढाका लैंड पर 143 करोड़ रुपए की लागत से गर्ल्स हॉस्टल का निर्माण होने जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. पीसी जोशी, प्रो. पीएस ग्रोवर, प्रो. रमेश चंद्रा, प्रो. बीपी सिंह और सुश्री मर्जोरिया फर्नांडिस आदि ने भी डीयू से जुड़े अपने-अपने संस्मरण सांझा किए। कार्यक्रम के अंत में पूर्व शिक्षकों के सम्मान में रात्री भोज का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्रीप्रकाश सिंह, शताब्दी समारोह समिति की संयोजक प्रो. नीरा अग्निमित्रा, रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता और यूओडी फ़ाउंडेशन से प्रो. अनिल कुमार सहित डीन्स, विभागाध्यक्ष, निदेशक, प्रिंसिपल, सैंकड़ों पूर्व शिक्षक और अधिकारी आदि भी उपस्थित रहे।