लम्बा सफर/कालाढूंगी । उत्तराखण्ड में अवैध मजारों को लेकर आज मुख्यमंत्री धामी का स्पष्ट रूख दिखाई दिया। जिसमें उन्हेंने कहा कि अवैध रूप से कब्जा कर बनाई गई मजारों को स्वंय हटा लें अन्यथा उन्हें ध्वस्त किया जायेगा। आपको बताते चलें कि पिछले कई वर्षों से उत्तराखण्ड के जंगलों में मजार के नाम पर जमीनों पर कब्जा किया है। जिसका पिछले काफी समय से हिंदू संगठन विरोध कर रहे थे। आखिरकार धामी को लैंड जिहाद जैसे गंभीर मुद्दे पर अपना बयान जारी करना ही पड़ा। अब देखना ये है कि क्या वास्तव में अवैध रूप से बनी मजारों पर कार्रवाई होती है या एक बार फिर मुख्यमंत्री धामी का बयान हवा हवाई ही साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कालाढूंगी में राजकीय इंटर कॉलेज में 95 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण करने के बाद रैली को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में एक हजार से अधिक स्थानों पर मजारें बन चुकी हैं।
उत्तराखंड में अवैध मजारों को लेकर राजनीतिक चर्चा लगातार जारी है। इन सबके बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा ऐलान कर दिया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि देवभूमि में लैंड जिहाद को पनपने नहीं देंगे। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में अवैध मजारों को ध्वस्त करेंगे। धामी ने आगे कहा कि यह नया उत्तरखंड है, यहां अतिक्रमण करना तो दूर की बात, इसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। उन्होंने यह भी कहा कि भूमि जिहाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, राज्य में वन भूमि पर 1000 से अधिक अनधिकृत मजारें बनाई गई हैं।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कालाढूंगी में राजकीय इंटर कॉलेज में 95 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण करने के बाद रैली को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में एक हजार से अधिक स्थानों पर मजारें बन चुकी हैं। खुदाई करने पर उसके नीचे कोई अवशेष नहीं मिला। उन्होंने इसे लैंड जिहाद बताते हुए कहा कि इसे राज्य में किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मौके पर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, आयोजक विधायक बंशीधर भगत भी मौजूद थे।
धामी ने कहा कि यह वास्तव में सच है कि वन भूमि पर 1,000 से अधिक ऐसी मज़ारें बनाई गई हैं। ये मजारें पीर बाबाओं की नहीं बल्कि मजार जिहाद का हिस्सा हैं और इनसे असामाजिक तत्व निकलते हैं। हम यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ये अनाधिकृत मजार किस अधिकारी के कार्यकाल में बने थे। धामी का यह बयान उत्तराखंड सरकार द्वारा वन विभाग को अवैध मजारों, मस्जिदों, मंदिरों और चर्चों की पहचान करने का आदेश दिए जाने के वर्षों बाद आया है, जो वन भूमि पर बनाए गए हैं।