नरेश कुमार चौबे, देहरादून। उत्तराखण्ड सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जो कि धाकड़ धामी के नाम से भी विख्यात हैं। जनहित में सराहनीय आदेश पारित करते हैं, किंतु क्या करें ? उनके मातहत ही उनके आदेशों की धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं। ये हालत तब है, जब प्रदेश में विरोध करने के लिए विपक्ष नगण्य है। किन्तु लाल फीताशाही के चलते उनके आदेशों का पालन नहीं किया जाता।
बात सरकारी भूमि पर अवैध अक्रिमण की हो या फिर स्मार्ट सिटी देहरादून के बेतरतीब चलते यातायात की। कहने को यातायात कर्मियों की पूरी फौज स्मार्ट सिटी देहरादून में है, किंतु 50 प्रतिशत वी.आई.पी सुरक्षा में लगी रहती है, बाकी की पचास प्रतिशत यातायात को व्यवस्थित करने का प्रयास तो करती है, लेकिन स्मार्ट सिटी के नाम पर सड़कों को दुरूस्त करने वाली एजेंसियां पीक आवर्स में ही निर्माण कार्य क्यों करती हैं, समझ से परे है।
राजधानी देहरादून की शायद ही कोई सड़क ऐसी हो जहां निर्माण कार्य न चल रहा हो। पर्वतीय राज्य की राजधानी देहरादून, उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद से भयानक सड़क त्रासदी से गुजर रहा है। 2009 से बढ़ती आबादी का दबाव शायद देहरादून झेल नहीं पा रहा है। हमने खूबसूरत शहर को बूचड़खाना बनने दिया। देहरादून का एकमात्र खूबसूरत रेलवे स्टेशन बाहर निकलते ही सारी सोच बदल देता है। जबकि रेलवे स्टेशन के साथ ही आपकी सेवा में मुस्तैद पुलिस चौकी भी है।
राजधानी की आबादी बढ़ी है किंतु क्षेत्रफल नहीं। साथ ही आपको बताते चलें कि देहरादून विश्वस्तरीय पर्यटन केन्द्र भी है अतः हमें जो भी योजनाएं बनानी होंगी, विश्व के पर्यटक आगमन के आंकड़े को देखकर। देहरादून वास्तव में बहुत ही खूबसूरत जिला है, इसे सुन्दर बनाना हमारी सबकी जिम्मेदारी है। देहरादून का दिल घंटाघर, अतिक्रमण तो यहां पर है। आप घण्टाघर चौक को किसी भी तरफ से 5 मिनट से पहले पार नहीं कर सकते। जबकि उत्तराखण्ड पुलिस घण्टाघर पर आपकी सेवा में मुस्तैद !
राजधानी देहरादून का घण्टाघर चौक चार दिशाओं को दर्शित करता है, आप घण्टाघर चौक का अतिक्रमण साफ करने की हिम्म्त रखिये, जो कि आई.पी.एस केवल खुराना ने दिखाई थी। सड़कें पर्याप्त चौड़ी हैं, हमें केवल फुटपाथों का अतिक्रमण हटाना है। हम शहर का अतिक्रमण नहीं हटा पा रहे, चले हैं ग्रामीण क्षेत्रों का अतिक्रमण हटाने।
अब बात करते हैं धाकड़ धामी के ताजातरीन बयान की कि 30 नवम्बर से पहले सड़कें गढ्ढे मुक्त होनी चाहिए। पी.डब्ल्यू.डी ( पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट) में मेंटीनेंस डिपार्टमेंट होता है, जिसकी जिम्मेदारी होती है कि मानसून के समाप्त होते हीे सड़कों के गढ्ढे भरने का काम शुरू कर दिया जाए। इस काम के लिए विधिवत एक फण्ड भी निश्चित है, किंतु जे.ई, ए.ई, एक्शियन सीमेंट, रोड़ी और अन्य मैटिरियल को भी हजम कर जाते हैं। ऐसे में कैसे विश्वास कर लिया जाए कि 30 नवम्बर 2023 तक राजधानी देहरादून की सड़कें गढ्ढा मुक्त हो जायेंगी।