अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये अनुसंधान उन्मुख शिक्षाविदों का हो सकेगा पुनर्नियोजन

दिल्ली विश्वविद्यालय का 1886.53 करोड़ का बजट पारित  

लम्बा सफर, नई दिल्ली, 10 अप्रैल।

दिल्ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद की 1265वीं बैठक का आयोजन विश्वविद्यालय के वाइसरीगल लॉज के कन्वेंशन हॉल में हुआ। विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. योगेश सिंह की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिये विश्वविद्यालय का 1886.53 करोड़ का बजट भी पारित किया गया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने और अनुसंधान उन्मुख शिक्षाविदों के पुनर्नियोजन के लिए भी मसौदे को मंजूरी दी गई।

नए वित्तीय वर्ष की इस पहली बैठक में वर्ष 2023-2024 के लिये वित्तीय बजट अनुमान (संसोधित बजट अनुमान 2022-23 और बजट अनुमान 2023-2024) पेश किया गया जिसे कि वित्तीय समिति ने अपनी 21 मार्च 2023 की बैठक में विचार के बाद अनुमोदित किया था। वित्तीय वर्ष 2023-2024 के लिये कुल 1886.53 करोड़ रुपए का बजट अनुमान पेश किया गया जिसके तहत सैलरी हैड में कुल 512.34 करोड़ रुपए का अनुमान है। इसके अनुसार रेगुलर फ़ैकल्टि सैलरी के तहत 267.33 करोड़ और रेगुलर नॉन फ़ैकल्टि सैलरी के लिये 127.01 करोड़ रुपए तथा अन्य विषयों जैसे कि लीव एनकैशमेंट, एलटीसी, चिलड्रन एजुकेशन एलाउंस, मेडिकल रिइमबर्समेंट और अन्य सेवानिवृति लाभ आदि के लिये 118.00 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। इसके अतिरिक्त शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक रिक्त पदों के खर्च को भी बजट में शामिल किया गया है जिसके तहत 876.34 करोड़ रुपए का अनुमान पेश किया गया है। आवर्ती खर्चों के तहत पेंशन, नॉन सैलरी आइटम्स, नॉन-नेट फैलोशिप और हायर एजुकेशनल फाइनन्सिंग एजेंसी हेतु कुल 582.19 करोड़ रुपए का अनुमान पेश किया गया है। इसके साथ ही बिल्डिंग, पुस्तकें और जर्नाल्स, प्र्योगशाला उपकरण, क्लास रूम उपकरण एवं फर्नीचर, कम्प्युटर और कैम्पस विकास आदि पूंजीगत आस्तियों के लिये 428 करोड़ रुपए का अनुमान पेश किया गया है।

बैठक के दौरान 03 फरवरी 2023 को हुई ईसी की 1264वीं बैठक के मिनट्स की पुष्टि भी की गई। विश्वविद्यालय में अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने और अनुसंधान उन्मुख शिक्षाविदों के पुनर्नियोजन के लिए विभिन्न विषयों पर दिशानिर्देश तैयार करने हेतु गठित समिति की सिफारिशों पर विचार के उपरांत उन्हें भी इस बैठक में पारित कर दिया गया। इसके तहत सेवानिवृत्त अनुसंधान उन्मुख शिक्षाविदों का पुनर्नियोजन किया जा सकेगा। यह नियम केवल दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय शिक्षण विभागों/ केंद्रों/ स्कूलों/ संस्थानों में ही लागू होगा, इसे विश्वविद्यालय के कॉलेजों में लागू नहीं किया गया है। कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास पर जोर देने के साथ गुणवत्ता अनुसंधान में सुधार पर ज़ोर देती है। अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने और मजबूत करने के लिए ही दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक समिति का गठन किया था और उक्त समिति को इसके लिए अलग दिशा निर्देश तैयार करने के लिए कहा गया था; जिसके तहत विभिन्न विषयों जैसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी, मानविकी और सामाजिक विज्ञान व अन्य विषयों में गुणवत्ता अनुसंधान और प्रकाशनों के सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड के साथ अनुसंधान-उन्मुख शिक्षाविदों के पुनर्नियोजन से लाभ लिया जा सके। विभागों / केंद्र / स्कूल / संस्थान के प्रोफेसर/ वरिष्ठ प्रोफेसर के मामले में पुनर्नियोजन केवल विभाग/ केंद्र/ स्कूल/ संस्थान में पुनर्नियोजन चाहने वाले संकाय सदस्य की उपयुक्तता के आधार पर प्रोफेसर/ एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों पर ही लागू होगा। पुनर्नियोजित प्रोफेसर/ सीनियर प्रोफेसर केवल उस समय तक पद धारण कर सकेगा जब तक कि जिस पद पर पुनर्नियोजन किया गया है वह पद रिक्त हो। उस पद के विरुद्ध नियमित नियुक्ति के बाद पुनर्नियोजन समाप्त हो जाएगा।

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