लम्बा सफर, नई दिल्ली, 05 फरवरी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सौवें वर्ष में काफी कुछ नया हो रहा है। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय का कुलगीत भी तैयार किया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कुलगीत की सराहना करते हुए कहा कि यह कुलगीत विश्वविद्यालय के गौरव को और बढ़ाएगा। उन्होने कहा कि कुल के साथ कई पक्ष जुड़े होते हैं और उनके प्रति आस्था स्वाभाविक रूप से होती है। वास्तव में दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 साल के स्वर्णिम इतिहास के साथ कई उपलब्धियां जुड़ी हैं। कुलपति ने कहा कि इन सौ वर्षों के इतिहास में ऐसा बहुत कुछ हुआ है जिस पर गर्व किया जा सकता है। कुलगीत उस गौरव को और बढ़ाने का काम करेगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय कल्चर कौंसिल के चेयर पर्सन एवं पीआरओ अनूप लाठर ने बताया कि विश्वविद्यालय का कुलगीत तैयार हो चुका है। उन्होने बताया कि इस कुलगीत को विख्यात कवि गजेंद्र सोलंकी द्वारा लिखा और स्वरबद्ध किया गया है। कुलगीत को दिल्ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद की 1264वीं बैठक में पारित कर दिया गया है। उन्होने बताया कि इस कुलगीत को विश्वविद्यालय के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में गाया जाएगा। श्री लाठर ने कहा कि विश्वविद्यालय का कुलगीत विश्वविद्यालय से जुड़े हर व्यक्ति को गर्व की अनुभूति करवाएगा। उन्होने कहा कि शताब्दी वर्ष में यह एक बहुत बड़ी सांस्कृतिक देन होगी।
यह है दिल्ली विश्वविद्यालय का कुलगीत:
कुलगीत
जयति जय जय-जयति जय जय
ज्ञान का आलोक अनुपम
श्रेष्ठ सुन्दर दिव्य दिल्ली
विश्व विद्यालय विहंगम
सकल वसुधा निज कुटुंब की
भावना संस्कृति सनातन
आधुनिक शिक्षा पुरातन
ज्ञान धाराओं का संगम
देश की स्वाधीनता हित
भूमिका शत कोटि वंदन
निष्ठा धृति सत्यम के मंगल
दिव्य भावों का समागम
जयति जय जय-जयति जय जय
ज्ञान का आलोक अनुपम
भव्य महाविद्यालयों के
परिसरों से चिर सुशोभित
श्रेष्ठ गुरुजन कर रहे नित
छात्र और छात्राएँ दीक्षित
सचरित्राचार पावन
साधना संकल्प संयम
नवल वैश्विक चेतना
नव क्रान्ति संस्कारों का उद्गम
जयति जय जय-जयति जय जय
ज्ञान का आलोक अनुपम
श्रेष्ठ सुन्दर दिव्य दिल्ली
विश्वविद्यालय विहंगम ।