प्रतिलेख: नेपाल हमारा मैत्री देश है, हम नेपाल विरोधी नहीं है, हमारा मत केवल इतना है कि आप नेपाल और भारत दोनों के संविधान का पालन कीजिए


नरेश कुमार चौेबे, वरिष्ठ पत्रकार, लम्बा सफर, देहरादून। कल मैंेने एक लेख तथ्यों पर आधारित लिखा था। दोहरी नागरिकता पर उठे सवाल, उत्तराखण्ड की राजधानी में बसे नेपाल मूल के लोगो को देना हो जबाव, या तो देश छोड़ो या फिर दोहरी नागरिकता !
तमाम लोगों के फोन कॉल मुझे आये, जिस पर मेरा उत्तर एक ही था कि पहले आप पूरा लेख पढ़ लीजिए। मैंने जो कुछ भी लिखा है, वास्तविकता को ध्यान में रखकर ही लिखा है। नेपाल हमारा मैत्री देश है, इसके अलावा हमारे रीतिरिवाज, परम्परायें एक सी ही हैं । उत्तराखण्ड के निवासियों का आज से नहीं सैंकड़ों वर्षों से नेपाल से रोटी-बेटी का रिश्ता है।
मै जहंा तक समझता हूॅ, जो फोन कॉल मेरे लेख को पढ़कर आयीं है, वो शायद ऐसे ही लोग हैं, जो दोहरी नागरिकता का लाभ ले रहे हैं, या फिर ऐसे लोगों के हितैषी है, जो दोहरी नागरिकता का लाभ ले रहे हैं।
आपको बताते चलें कि मतदान का अधिकार केवल एक ही देश में हो सकता है। अगर आप गलत नहीं हैं तो एक नागरिकता क्यों नहीं रखते। दोहरी नागरिकता वाले भारत की राजनीति को भी वोटों से प्रभावित करते हैं। इसके अलावा वोटों के लालच में हम माओवादियों को तो संरक्षण नहीं दे रहे, ये जहां सुरक्षा के लिहाज से गंभीर विषय है, वहीं जांच का भी विषय है।
जिन जिलों में ऐसी आबादी तेजी से बढ़ रही है, उन जिलों की स्थानीय जांच एजेंसी को सतर्कता से जांच करनी चाहिए। साथ ही निर्वाचन आयोग को केवल प्रधान और पंचायत सचिव के अनुमोदन पर वोटर कार्ड नहीं बनाने चाहिए। सख्ती के साथ दूसरे देश की नागरिकता छोड़ने का प्रमाण देखकर, जांचकर ही वोटर कार्ड बनाना चाहिए।
ऐसे लोग जहां राजनीति में प्रभाव डालते हैं वहीं अवैध अतिक्रमण और आर्थिक रूप से देश पर बोझ भी बनते हैं। अतः निर्वाचन आयोग और जांच एजेंसियों को सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि 2024 का लोकसभा चुनाव नजदीक है और वोटों का बनना जारी है।

मैं अपने लेख के माध्यम से जिले के एस.एस.पी और जिलाधिकारी से आग्रह करूंगा कि विषय की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इस विषय पर संज्ञान लें। क्योंकि ये विषय केवल और केवल दोहरी नागरिकता का नहीं है। तमाम घुसपैठिये आज उत्तराखण्ड की राजधानी और उत्तराखण्ड के सीमावर्ती जिलों के चारों ओर फैल चुके हैं। विषय केवल दोहरी नागरिकता का नहीं। घुसपैठियों में बंग्लादेशी, रोहिंगिया भी हैं जो आने वाले समय में पहाड़ों की शांति को भंग कर सकते हैं।

Leave a Reply