भारत को मिलने जा रहा पहला राष्ट्रीय सुरक्षा ‘सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट’ -हाई टेक्‍नोलॉजी साझेदारी पर बनी सहमती।

न्यूयोर्क | दिल्ली: भारत को अमेरिका के सहयोग से पहला राष्ट्रीय सुरक्षा ‘सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट’ मिलने जा रहा है. यह न केवल भारत का पहला, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया का पहला ‘मल्‍टी मटेरियल मैन्युफैक्चरिंग प्‍लांट’ होगा। यह प्‍लांट न सिर्फ भारत, बल्कि अमेरिका के लिए भी काफी महत्‍व रखता है। यह पहली बार है, जब अमेरिकी सेना भारत के साथ इन हाई टेक्‍नोलॉजी के लिए साझेदारी करने पर सहमत हुई है। क्योकि, यह असैन्य परमाणु समझौते जितना ही महत्वपूर्ण है। पूरी दुनिया जब सेमीकंडक्टर की किल्‍लत से जूझ रही है, ऐसे में यह प्‍लांट भारत की उड़ान में मील का पत्‍थर साबित होगा।  

भारत-अमेरिका के बीच यह समझौता ऐतिहासिक

भारत में लग रहे इस सेमीकंडक्टर प्लांट में दोनों देशों के लिए सैन्य हार्डवेयर के साथ-साथ महत्वपूर्ण दूरसंचार नेटवर्क और इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग के लिए चिप्स का उत्पादन होगा। विलमिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच वार्ता के बाद इस महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की गई। मोदी-बाइडन वार्ता पर एक संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका सेमीकंडक्टर निर्माण साझेदारी को एक ऐतिहासिक समझौता बताया।  यह परियोजना भारत सेमीकंडक्टर मिशन में सहायक होगी और भारत सेमी, थर्डीटेक और अमेरिकी स्पेस फोर्स के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी का हिस्सा होगी।

भारत के साथ साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया का यह पहला मल्‍टी मटेरियल मैन्युफैक्चरिंग प्‍लांट होगा, जिससे भारत में रोजगार भी बढ़ेगा। इस मामले के जानकार लोगों ने बताया कि यह पहली बार है कि अमेरिकी सेना भारत के साथ इन हाई टेक्‍नोलॉजी के लिए साझेदारी करने पर सहमत हुई है और यह एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि यह असैन्य परमाणु समझौते जितना ही महत्वपूर्ण है।

भारत-अमेरिका के संयुक्त बयान के मुताबिक, राष्ट्रपति बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी ने नेशनल सिक्‍योरिटी, नेक्‍स्‍च जेनरेशन के दूरसंचार और हरित ऊर्जा ‘एप्लीकेशन’ के लिए एडवांस सेंसिव, कम्‍युनिकेशन और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर केंद्रित एक नया सेमीकंडक्टर निर्माण प्‍लांट स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते की सराहना की।

भारत सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रहा

भारत समेत दुनियाभर के देश इस समय सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रहे हैं। भारत सेमीकंडक्टर की जरूरत को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर रहता है। लेकिन पूरी दुनिया में बहुत कम ऐसी कंपनियां हैं, जो सेमीकंडक्‍टर चिप बनाती हैं। और इन चुनिंदा कंपनियों पर ही पूरा विश्‍व सेमीकंडक्‍टर के लिए निर्भर है। ऐसे में जब कोरोनाकाल आया, तो सेमीकंडक्‍टर की भारी कमी दुनियाभर में महसूस की गई, क्‍योंकि देशों के बीच व्‍यापार बंद था। इसके बाद भारत समेत कई देशों को महसूस हुआ कि मोबाइल से लेकर कार तक में इस्‍तेमाल होने वाला सेमीकंडक्‍टर, कैसे देश की अर्थव्‍यवस्‍था को प्रभावित कर सकता है।

Leave a Reply