संघीय ढांचे की मजबूती के लिए जरूरी है कि केंद्र और राज्यों का सर्वांगीण विकास हो: मुख्यमंत्री
राज्य सरकार के ग्रीन कार्ड धारियों के लिए नीति आयोग फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से अनाज दिलाने की दिशा में करे पहल: मुख्यमंत्री
रांची/झारखंड (लम्बा सफर ब्यूरो): संघीय ढांचे की मजबूती के लिए जरूरी है कि केंद्र और राज्यों का सर्वांगीण विकास हो। केंद्र और राज्य सरकारें एक दूसरे को सहयोग करें तभी विकास के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं उसे हासिल कर सकें। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने आज नीति आयोग की टीम के साथ बैठक के दरम्यान कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बैठक में पुराने और लंबित विषयों पर चर्चा हुई है और उसका समाधान भी निकला। इसके साथ कई नए मुद्दों को भी रखा गया, जिस पर नीति आयोग की ओर से सकारात्मक पहल करने का आश्वासन मिला। नीति आयोग के समक्ष राज्य सरकार के द्वारा जो भी मामले रखे गए हैं, वे केंद्र सरकार तक पहुंचेगी और झारखंड के हित में नीति निर्धारित होगी, ऐसी उम्मीद है।
पिछड़े राज्य कैसे आगे बढ़े, इसपर विशेष कार्य करने की जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास की दौड़ में कई राज्य आगे बढ़ गए हैं और कुछ राज्य अभी भी पिछड़े हुए हैं । इसमें झारखंड भी शामिल है ।ऐसे राज्य कैसे विकास की राह में आगे बढ़ें, इसके लिए विशेष कार्य करने की जरूरत है और इसमें सभी को साथ लेकर चलना होगा।
संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें संसाधन तो मिल रहे हैं, लेकिन उसका उपयोग ऐसी जगह हो रहा है, जिससे उसका जितना फायदा होना चाहिए, वह नहीं मिल पा रहा है । ऐसे में संसाधनों की बेहतर उपयोगिता के लिए केंद्र और राज्य को मिलकर काम करना होगा, तभी हम विकसित देश और विकसित राज्य बना पाएंगे तथा जनता उसका बेहतर सदुपयोग कर सकेगी।
इन मंत्रालयों के मुद्दों और विषयों पर हुई चर्चा
मुख्यमंत्री के साथ नीति आयोग की हुई बैठक में कोयला मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय, केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय और महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई।
राज्य सरकार ने रखे ये मुददे
मुख्यमंत्री ने कोयला मंत्रालय से जुड़े मामलों में कोल् कंपनियों द्वारा जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजा और कोयले पर राज्य सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी से जुड़े मुद्दे को विशेष रूप से रखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न कोयला कंपनियों का जमीन अधिग्रहण को लेकर लगभग 80 हज़ार करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाना है , लेकिन मात्र 2532 करोड़ रुपए राज्य सरकार और रैयतों को मुआवजा दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोल कंपनियां जो भी जमीन अधिग्रहित करती है, उसका मुआवजा मिलना चाहिए, भले ही उस पर खनन कार्य शुरू नहीं हुआ हो। इस पर कोयला मंत्रालय की ओर से पक्ष रखा गया। वहीं, नीति आयोग के सहयोग से यह सहमति बनी कि कोल कंपनियां कितना जमीन अधिग्रहित कर चुकी है और कितना मुआवजा वितरित किया गया है, इसकी पूरी रिपोर्ट जल्द देगी । मुख्यमंत्री ने कोयला पर मिलने वाली रॉयल्टी बढ़ाने की मांग रखी और कहा कि राज्य सरकार को ज्यादा से ज्यादा कोल रॉयल्टी मिलनी चाहिए।मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में खनन कर रहे कोल कंपनियां जब तक किसी कोल माइंस में पूरी तरह उत्पादन बंद करने का सर्टिफिकेट नहीं देती है तब तक नई जगह पर वह कोल खनन नहीं करे। मुख्यमंत्री ने कोयला खदानों में लगी भूमिगत आग के मुद्दे को भी रखा।
एफसीआई से अनाज मिले
मुख्यमंत्री ने फूड सिक्योरिटी को लेकर कहा कि केंद्र द्वारा लाभुकों का जितना कोटा तय है, उससे कहीं ज्यादा लाभुकों को राशन की जरूरत है। इसलिए राज्य सरकार ने अपने स्तर पर राशन कार्ड जारी किए हैं । लेकिन, राज्य सरकार के राशन कार्ड धारियों के लिए अनाज सरकार को बाजार से खरीदना पड़ता है । फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा अनाज उपलब्ध नहीं कराया जाता है। ऐसे में नीति आयोग केंद्र सरकार के पास झारखंड की इस मांग को रखे कि राज्य सरकार के राशन कार्ड धारियों के लिए भी राज्य सरकार को एफसीआई से अनाज उपलब्ध कराया जाए।
मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से संबंधित बातें भी रखी गई
मुख्यमंत्री ने राज्य में स्थापित होने वाले मेडिकल कॉलेज से संबंधित बातें भी नीति आयोग के समक्ष रखी। उन्होंने कहा कि राज्य में मेडिकल कॉलेज के लिए ऐसी जगहों को चिन्हित किया गया है, जहां उसकी उपयोगिता उतनी नहीं है। अगर केंद्र सरकार मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की दिशा में निर्णय ले रही है तो उसमें राज्य सरकार की भी सलाह ली जानी चाहिये।
एक्सप्रेस रोड से जुड़े प्रस्ताव पर शीघ्र मिले मंजूरी
राज्य सरकार की ओर से नीति आयोग को अवगत कराया गया कि झारखंड में साहिबगंज से रांची तक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस बनाया जाना है। इसकी लागत लगभग 9 हज़ार करोड़ रुपए है। इसके अलावा राज्य में 8 नए कोरिडोर भी बनाए जाएंगे , जिसकी लंबाई लगभग 16 सौ किलोमीटर होगी। यह झारखंड के जिलों को जोड़ने के साथ दूसरे राज्यों से भी जुड़ी होगी। राज्य सरकार की ओर से ये दोनों प्रस्ताव केंद्र को भेजे गए है। इस पर जल्द स्वीकृति मिले।
पशुओं के इंश्योरेंस के मामले को भी रखा
मुख्यमंत्री ने नीति आयोग को बताया कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री पशुधन योजना शुरू की है। इसके तहत लाभुकों को पशु दिए जा रहे हैं। ऐसा कई बार देखने को मिला है कि पशुओं की मौत से पशुपालकों की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है। इस वजह से राज्य सरकार ने पशुओं की इंश्योरेंस की योजना बनाई है। अगर केंद्र सरकार द्वारा भी पशु के इंश्योरेंस की कोई योजना है तो उसका लाभ झारखंड को देने की दिशा में पहल होनी चाहिए।इस बैठक में राज्य सरकार के द्वारा स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण चावल, वन क्षेत्र में टूरिज्म को बढ़ावा देन, गंगा नदी पर पुल, मनरेगा दर बढाने और ऊर्जा को लेकर डीवीसी से जुड़े मामले को भी रखा गया।
राज्य सरकार के कार्यों की सराहना
नीति आयोग के सदस्य डॉ विनोद कुमार पॉल ने कहा कि नीति आयोग केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच सेतु का कार्य करती है। झारखंड विकास के पथ पर तेजी से कैसे आगे बढ़े, इस दिशा में केंद्र से जो भी सहयोग की जरूरत होगी, नीति आयोग उसे पूरा करने की दिशा में पहल करेगी। उन्होंने कहा कि आज की बैठक काफी सार्थक रही है और उसके सार्थक परिणाम आएंगे। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, पशुपालन, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन और रागी उत्पादन के फील्ड में में काफी बेहतर कार्य कर रही है। उन्होंने राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि इसका निश्चित तौर पर फायदा यहां के लोगों को और देश को भी मिलेगा।
इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य विनोद कुमार पॉल, वरीय सलाहकार नीरज सिन्हा, सलाहकार नीलम पटेल, डॉ अमृत कॉल पॉल, डॉ अशोक ए, डॉ थ्यागराजू, सुमन सौरभ, नमन अग्रवाल और राज्य सरकार में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव एल खियांगते, अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वंदना दादेल, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, सचिव श्री सुनील कुमार, सचिव अमिताभ कौशल, सचिव अबू बकर सिद्दीक, सचिव प्रशांत कुमार, सचिव के झा, सचिव श्रीमती विभ्रा, सचिव श्री चंद्रशेखर और वन विभाग के संजय श्रीवास्तव मौजूद थे।