केंद्र सरकार के अध्यादेश पर नियंत्रण के लिए मांगा समर्थन।
रांची/झारखंड (लम्बा सफर ब्यूरो): आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक सह दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज शुक्रवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की। इससे पहले केजरीवाल और मान गुरुवार को ही रांची पहुंच गए थे।
केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) के लिए मुख्यमंत्री सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का समर्थन मांगा हैं।
मुख्यमंत्री केजरीवाल व हेमंत सोरेन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस।
मीडिया को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र सरकार के अध्यादेश पर आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से लंबी चर्चा हुई हैं। उन्होंने हमें संसद के अंदर और संसद के बाहर पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया है। मैं सभी पार्टियों से अनुरोध करता हूं कि जब संसद में ये अध्यादेश आए तब इसका विरोध करें।
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाकर केंद्र सरकार ने जनता के साथ धोखा किया हैं इसलिए मैं यहा आया हूं और सोरेन सरकार का समर्थन मांगा है। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वे और उनकी पार्टी हमारा साथ देगी।
अध्यादेश पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत ने कहा कि देश के लोकतंत्र पर ये बड़ा प्रहार है। संघीय ढाचें की बात केंद्र सरकार करती है, लेकिन कार्य बिल्कुल उसके विपरीत होता है। आज स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा कि जो केंद्र सरकार की सहयोगी राज्य सरकारें नहीं हैं उन सभी सरकारों की एक समान स्थिति है जो चिंता का विषय है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी दिया हैं समर्थन का भरोसा।
इससे पहले केजरीवाल और मान ने चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात की थी। स्टालिन ने केंद्र पर गैर -भाजपा शासित राज्यों में संकट उत्पन्न करने का आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि द्रमुक केंद्रीय अध्यादेश का कड़ा विरोध करेगी।
स्टालिन ने कहा कि केंद्र आम आदमी पार्टी के लिए संकट उत्पन्न कर रहा है और विधिवत चुनी हुई सरकार को स्वतंत्र रूप से काम करने से रोक रहा है। आप सरकार के पक्ष में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद केंद्र अध्यादेश लाया। स्टालिन ने केजरीवाल को अपना अच्छा दोस्त बताया।
मुख्यमंत्री केजरीवाल गैर -भाजपा दलों को साथ लाने की कर रहें हैं कोशिश।
इसके बाद आप प्रमुख केजरीवाल अध्यादेश के खिलाफ समर्थन हासिल करने के लिए गैर -भाजपा दलों के नेताओं से संपर्क कर रहें हैं। उनका मकसद हैं कि संसद में विधेयक लाए जाने पर केंद्र उसे पारित नहीं करा सके।
जानिए क्या हैं मामला?
दरअसल, केंद्र ने आईएएस और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए 19 मई को अध्यादेश जारी किया था। यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर अन्य सेवाओं का नियंत्रण सौंपने के बाद आया। अध्यादेश जारी किए जाने के छह महीने के भीतर केंद्र को इसकी जगह लेने के लिए संसद में एक विधेयक लाना होगा। शीर्ष अदालत के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में थे। इसी मामले को लेकर केजरीवाल भाजपा विपक्षी नेताओं व मुख्यमंत्रीयों से सहयोग के लिए मुलाकात कर रहें हैं।