स्ंावाददाता लम्बा सफर, देहरादून। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून के सहसपुर ब्लाक में गल्जवाड़ी ग्राम सभा की प्रधान लीला शर्मा अपनी दबंगई के कारण अक्सर चर्चा में रहती हैं। सभ्रांत लोगों से बदतमीजी, गलत बयानी और तमाम राजस्व एवं ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा करना जैसे इनके शगल बन गये हों।
आपको बताते चलें कि लीला शर्मा मई 2016 में मनरेगा और पंचायत कार्यों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप में 84 दिन जेल की हवा भी खा चुकी है। लेकिन जेल से आने के बाद सुधार के स्थान के पर पैसे की और अधिक भूख जाग गई है। तभी तो तमाम राजस्व की जमीन, सीलिंग की जमीन, नकली पट्टों के आधार पर भूमाफियाओं को बेच मारी।
ज्ञात हो कि ग्राम सभा गल्जवाड़ी विचित्र रचना वाली ग्राम सभा है जो कि तकरीबन 45 किलोमीटर के क्षेत्र में हैं। जिसके 9 मौजे हैं, राजस्व ग्राम गल्जवाड़ी, गद्दूवाल, जादड़, अमरूद बाग, इंदिरा नगर, पंडितवाड़ी, पंजाबी वाला, खैरी गांव, झाड़ी वाला संतूरगढ़, खबड़वाला। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि ग्राम प्रधान लीला शर्मा इंदिरा नगर में रहती हैं, उनका आवास भी ग्राम समाज व अंगेलिया हाउसिंग की जमीन पर है।
आधे से ज्यादा इंदिरा नगर या तो अंगेलिया हाउसिंग की जमीन पर है या फिर राजस्व और ग्राम सभा की जमीन पर। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि ग्राम प्रधान लीला शर्मा द्वारा इंदिरा नगर को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाने के लिए ‘‘अमर उजाला’’ में एक खबर प्रकाशित कराई कई थी कि ‘‘ कब जंगल राज के कानूनों से मुक्ति मिलेगी ग्राम सभा गल्जवाड़ी को’’ एक शातिराना हमला शासन पर और क्षेत्र की जनता को मूर्ख बनाना।
दरअसल ग्राम प्रधान लीला शर्मा ने इंदिरा नगर और ग्राम जादड़ में अवैध बस्तियां बसाकर अपना वोट बैंक मजबूत कर रखा है। जो कि हिलाए नहीं हिलने वाला। तमाम गोरखाली मजदूर ग्राम जादड़ एवं इंदिरा नगर में बसा रखे हैं। जमीन कब्जाने का नायाब तरीकी ग्राम प्रधान का। थोड़े दिन रैन बसेरा फिर उन्हें शिफ्ट कर जमीन भूमाफियाओं के हवाले कर देनी। इस काम में उनके साथ हैं जादड़ ग्राम की वार्ड मेम्बर विमला क्षेत्री।
गद्दूवाला में 85 बीघा जमीन में 12.5 बीघा सीलिंग की जमीन का मामला हो या ग्राम गल्जवाड़ी में खसरा नं. 667, 668 का सभी में तगड़ा घालमेल है। यही नहीं खसरा नं. 693, 754, 975 ग्राम समाज की जमीन है जिसका सौदा भी प्रताप चौधरी से लीला शर्मा कर चुकी है।
प्रधान लीला शर्मा की कारगुजारी यहीं तक नहीं थमी है। गल्जवाड़ी ग्राम में निवास कर रहे वयोवृद्ध पत्रकार नरेश कुमार चौबे को जब ग्रामवासियों ने ये वस्तुस्थिति बतायी तो नरेश कुमार चौबे ने ग्रामवासियों के साथ मिलकर जिलाधिकारी महोदया के समक्ष ग्राम सभा के हालात रखे। ईमानदार जिलाधिकारी ने मामले की जांच के आदेश दिये, जिस पर ग्राम प्रधान लीला शर्मा ने वरिष्ठ वयोवृद्ध पत्रकार को भरी सभा में जान से मारने की एवं घर उजाड़ने की धमकी दे डाली।
आपको बताते चलें कि जंगल राज तो ग्राम सभा गल्जवाड़ी में चल रहा है जहां प्रधान के खिलाफ शिकायत करने वाले पर झूठा छेड़छाड़ व रेप का केस लगा दिया जाता है। प्रशासन मजबूर है उसे तो शिकायकर्ता का सम्मान करना है, ये तो बाद में माननीय न्यायालय तय करेगा कि शिकायत सच्ची है या झूठी।
अभी 28 जनवरी को ‘‘मनरेगा’’ की जांच के लिए सहसपुर बी.डी.ओ आई थी। तब भी उनका जांच से ध्यान भटकाकर ग्राम गल्जवाड़ी में दौरा कराने ले गई। पेड़ कटे हैं जंगल में मामला है जंगलात का, बी.डी.ओ का इससे क्या लेना देना। केवल और केवल एक वयोवृद्ध पत्रकार को बदनाम करने की साजिश।
एक 3500 रू. मानदेय मिलने वाले प्रधान के इतने ठाठ-बाट कैसे ? जांच का विषय है ? क्या उच्चाधिकारी ध्यान देंगे।