कैेसे बनी करोड़ों की मालकिन ग्राम प्रधान लीला शर्मा ?

है कोई ईमानदार अधिकारी जो उठाये गये तथ्यों की जांच कर सके।

नकली पट्टे बनाकर पिछले 14 साल में गल्जवाड़ी ग्राम सभा की तमाम सरकारी, गैर सरकारी भूमि भूमाफियाओं को बेचकर करोड़ों किये अन्दर

नरेश कुमार चौबे, वरिष्ठ संवाददाता, देहरादून/उत्तराखण्ड। मुख्यमंत्री आवास एवं राजभवन से मात्र 5 किलोमीटर दूर बसा गांव गल्जवाड़ी जो कि तकरीबन 45 किलोमीटर की ग्रामसभा है। मुख्य गल्जवाड़ी ग्राम राजस्व ग्राम है जो कि पिछले 14 वर्ष से विकास के नाम पर अछूत बना हुआ है।
आपको बताते चलें कि गल्जवाड़ी ग्राम सभा का एक मौजा इंदिरा नगर जो कि नक्शे में आज भी आबादी घोषित नहीं है। खसरा नं. 1187 जिसमें ग्राम प्रधान लीला शर्मा का आवास भी है, सूत्रों के अनुसार ग्राम सभा की भूमि पर है। गावं के बुजुर्गों के अनुसार कभी यहां कम उम्र के बच्चे जो काल कलवित हो जाते थे, वो दफनाये जाते थे। आज प्रधान जी का आवास है। यही नहीं तमाम सीलिंग और ग्राम पंचायत की भूमि कानूनगो, पटवारी मि. जोशी और भूमाफियाओं के सहयोग से खुर्द-बुर्द कर दी गई है।यही नहीं ग्राम जादड़ में तमाम जमीनों को खुर्द-बुर्द किया गया।
गजब तरीका है जमीनें खुर्द-बुर्द करने का
पहले रैन बसेरे के नाम पर जंगल की सफाई कर मजदूर बसाये जाते हैं, उन मजदूरों के आधार कार्ड, वोटर कार्ड, यहां तक कि परिवार रजिस्टर में नाम चढ़ाये जाते हैं। तहसीलदार, पटवारी, कानूनगो से सेटिंग के चलते बंदोबस्त में भी नाम चढ़ा दिया जाता है। राशन कार्ड के लिए प्रधान जी स्वंयभू हैैं, साथ में शामिल है, प्ंाचायत सचिव और जादड़ की वार्ड मेम्बर बिमला क्षेत्री। एक जंगल साफ हुआ कब्जा हुआ, उसके बाद उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया।
तमाम जगंलात की भूमि बेचकर करोड़ों की मिल्कियत, अपने रिश्तेदारों के नाम पर, दामाद के नाम पर कर दी गई। खाबड़वाला में भी दामाद के नाम पर भूमि होने की जानकारी है। यही नहीं मनरेगा, जल जीवन मिशन जैसी जनउपयोगी योजनाओं में करोड़ों के घोटाले हैं।
जल जीवन मिशन: जल जीवन मिशन में जहां अपनी मर्जी से समिती का गठन किया गया, वहीं अधिशासी अभियन्ता के साथ मिलकर ग्राम सभा के जल को कामर्शियल गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा रहा है। जिनसे लाखों की वसूली की गई।

शेष…….अगले अंक में

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