कल्याण करोती द्वारा राज्य स्तरीय सतत् पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन

मथुरा। केंद्रीय पुनर्वास परिषद्-नई दिल्ली द्वारा मान्यता प्राप्त कल्याण करोति, मथुरा द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राज्य स्तरीय सतत् पुनर्वास शिक्षा कार्यक्रम के दूसरे दिन का कार्यक्रम सत्र का शुभारम्भ प्रभात रंजन, सहायक आचार्य अष्टावक्र रोहणी नई दिल्ली द्वारा शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये मिश्रित शिक्षा के ऊपर दिये व्याख्यान से प्रारम्भ किया गया। इनके द्वारा अपने व्याख्यान में कहा गया कि आजकल शिक्षा में ब्लेंडेड लर्निंग का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। यह उपाय विद्यार्थियों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक है। विभिन्न शैक्षिक प्लेटफार्म्स पर ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के साथ-साथ वास्तविक कक्षा में शिक्षण देने से विद्यार्थियों को अधिक उत्तेजित किया जा सकता है। इस तरह की शिक्षा विधि मानव संसाधनों को भी अधिक समर्पित बना सकती है, जिससे शिक्षा का स्तर उच्च हो सकता है।

सुरेन्द्र कुमार गौतम, सहायक आचार्य द्वारा बताया गया नई शिक्षा नीति में तकनीक के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें अभिभावकों और परिवार की भागीदारी अहम भूमिका निभा रही है। बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल होमवर्क और ई-लर्निंग टूल्स की निगरानी में माता-पिता की सक्रियता बढ़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि परिवार का सहयोग बच्चों की डिजिटल दक्षता को बढ़ाता है और साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक भी करता है। शिक्षाविदों ने इस भागीदारी को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का एक सकारात्मक कदम बताया है। सरकार भी डिजिटल साक्षरता अभियानों को प्रोत्साहित कर रही है।

डॉ.बिसम्बर, सहायक आचार्य (सी.आर.सी, जम्मू) द्वारा बताया गया कि शिक्षा के क्षेत्र में सहायक तकनीक (Assistive Technology) अब केवल विशेष आवश्यकता वाले छात्रों तक सीमित नहीं रही। यह तकनीक स्व-अधिगम, मनोरंजन और जीवन के विभिन्न संक्रमण कालों में छात्रों की मदद कर रही है। ऑडियो बुक्स, स्पीच-टू-टेक्स्ट ऐप्स और इंटरैक्टिव गेम्स जैसे टूल्स बच्चों को न केवल सीखने में सहयोग करते हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन तकनीकों से बच्चों में आत्मविश्वास और रचनात्मकता बढ़ती है। नीति निर्माताओं और विद्यालयों द्वारा इनके समावेशन से शिक्षा और अधिक समावेशी बन रही है।

कुलदीप सिंह, सहायक आचार्य (सी.आर.सी, जयपुर) द्वारा बताया गया कि शिक्षा में तकनीक का बढ़ता उपयोग अनेक लाभ लेकर आया है। डिजिटल टूल्स, स्मार्ट क्लासरूम और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म्स ने सीखने की प्रक्रिया को अधिक सहज, रोचक और व्यक्तिगत बना दिया है। छात्र अपनी गति से सीख सकते हैं और वैश्विक ज्ञान तक पहुंच बना सकते हैं। हालांकि, तकनीक के अत्यधिक उपयोग से ध्यान में कमी, स्क्रीन पर निर्भरता और डिजिटल अंतर जैसी चुनौतियां भी सामने आई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि संतुलित और उद्देश्यपूर्ण उपयोग से तकनीक शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, लेकिन इसके लिए जागरूकता और मार्गदर्शन आवश्यक है।

डॉ. आर.पी. प्रजापति ने अपने वक्तव्य में बताया कि शिक्षा क्षेत्र में तकनीक का समावेश अब केवल डिजिटल कक्षाओं तक सीमित नहीं रहा। शिक्षक अब पाठ योजना, शिक्षण सहायक सामग्री (TLMs) निर्माण, पाठ के क्रियान्वयन, रिपोर्ट लेखन और मूल्यांकन प्रक्रियाओं में भी तकनीकी उपकरणों का प्रभावी उपयोग कर रहे हैं। स्मार्ट ऐप्स, ई-प्लानिंग टूल्स और ऑनलाइन मूल्यांकन प्रणाली ने शिक्षण को अधिक सुसंगठित और प्रभावशाली बनाया है। इससे समय की बचत के साथ-साथ छात्रों की सीखने की प्रक्रिया पर बेहतर निगरानी संभव हो सकी है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह तकनीकी एकीकरण आधुनिक शिक्षा का भविष्य तय कर रहा है।

कार्यक्रम में 150 विशेष शिक्षक, प्रशिक्षु, उपस्थित रहे। प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों से संवाद कर विभिन्न तकनीकों को समझा एवं उनके व्यावहारिक उपयोग पर चर्चा की। कल्याणम् करोति संस्थान के इस आयोजन को सभी उपस्थितों ने अत्यंत उपयोगी और प्रभावशाली बताया।

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