ग्राम प्रधान लीला शर्मा ने जालसाजी कर बेची जमीन, फर्जी व्यक्ति को खड़ा कर करायी रजिस्ट्री

पट्टे के कागजों में हेराफेरी कर दिल बहादुर को बनाया खीम बहादुर, नेपाल निवासी याम बहादुर को बनाया खीम बहादुर, फर्जीवाड़ा कर, लापता दिल बहादुर की जमीन बेची, साथ ही राजस्व की जमीन भी हड़पी



संवाददाता लम्बा सफर, देहरादून। गौरतलब है कि ग्राम सभा गल्जवाडी की ग्राम प्रधान लीला शर्मा अपनी करनी के कारण हमेशा चर्चाओं में बनी रहती हैं। चाहे वो राज्य सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान हो या मनरेगा, और फिर जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं में भी कमाई का साधन ढूंढ ही लेती है।
आपको बताते चलें कि गल्जवाड़ी ग्राम सभा में तकरीबन 7000 बीघा जमीन जो कि अंगेलिया हाउसिंग सोसायटी की थी। उस भूमि में कथित आज के नया इंदिरा नगर, ग्राम जादड़ में तमाम भूमि ग्राम प्रधान द्वारा खुर्द-बुर्द कर बेच दी गई है। तमाम सबूतों के बावजूद लीला शर्मा हर जांच में अपने आपको बचाने में कामयाब रहती है। शायद देहरादून जिले में ईमानदार अधिकारियों की कमी है या फिर लीला का चांदी का जूता भारी है। ये भी सुनने में आता है कि लीला शर्मा पर किसी विशेष राजनीतिक धुरंधर का हाथ है। तभी तो तमाम भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भी खुलेआम घूम रही है।

पहले कागजों में हेरा-फेरी कर दिल बहादुर का किया खीम बहादुर, और नेपाल निवासी याम बहादुर को फर्जी कागजों के सहारे खीम बहादुर बनाकर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया।
पेश मामले के अनुसार खसरा नं. 341 एवं 362 जो कि दिल बहादुर थापा का था, फर्जी व्यक्ति यम बहादुर क्षेत्री का प्रधान लीला शर्मा ने अपने लेटर हेड पर 14 अक्टूबर 2011 में अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए पहले स्थाई निवासी होने का सबूत बनाया, उसके पश्चात ग्रामीण बैंक में खाता खुलवाया। खाता खुलवाने के पश्चात यम बहादुर क्षेत्री नेपाल निवासी को खड़ा कर उक्त भूमि की रजिस्ट्री किसी सेमवाल नामक व्यक्ति के नाम डेढ़ करोड़ में करवा दी। यम बहादुर क्षेत्री को एक लाख रूपये देकर वापस नेपाल भेज दिया गया। मामला 2013 में खुला जब कथित सेमवाल ने उक्त भूमि पर कब्जा लेने का प्रयास किया। तब किसी जागरूक नागरिक ने सदर थाने में लीला शर्मा के नाम 419, 420, 471 में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। जो कि किन कारणों से ठण्डे बस्ते में पड़ गई। किंतु एक बार फिर मामले ने तूल पकड़ा है, और इस बार जांच ईमानदार एस.डी.एम के पाले में है।

आपको बताते चलें कि एक ग्राम प्रधान जिसे मानक भत्ता 3500/- रूपये मिलता है, कहां से 5-5 लाख की सड़कें बनवा देता है। लक्जरी जिंदगी जीती है, जांच का विषय है।
आज की तारीख में लीला शर्मा जिले में किसी ईमानदार अधिकारी के अभाव में खुलकर खेल रही है। आपको बताते चलें कि लीला शर्मा ने तमाम भूमि अपने रिश्तेदारों के नाम पर कब्जा रखी है। यही नहीं लीला शर्मा अपनी गुण्डई के चलते किसी पर भी अपने रसूखों और पैसों के दम पर दबाव बनाने का पुरजोर प्रयास करती है।
क्या जिले में है कोई ईमानदार अधिकारी जो कि ईमानदारी से लीला शर्मा का पर्दाफाश कर सके।