दोहरी नागरिकता पर उठे सवाल, उत्तराखण्ड की राजधानी में बसे नेपाल मूल के लोगो को देना हो जबाव, या तो देश छोड़ो या फिर दोहरी नागरिकता


मैैं ये नहीं कहता कि नेपाल हमसे अलग है, हम पारंपरिक रूप से एक हैं, हमारी मान्यतांए सनातन हैं, किंतु संवैधानिक मान्यताएं हमें जो सिखाती हैं, हमें उनका भी पालन करना है।
नागरिकता: किसी देश मे निवास करने वाला वह व्यक्ति जिसे उस देश की नागरिक होने का गौरव प्राप्त है , नागरिक कहलाता है ?
दोहरी नागरिकता .किसी व्यक्ति को उस देश का नागरिक होने के साथ .साथ किसी अन्य देश की भी नागरिकता प्राप्त हो जाए, दोहरी नागरिकता कहलाता है । भारत मे एकल नागरिकता का प्रावधान है । अर्थात यदि कोई व्यक्ति पहले से किसी अन्य देश का नागरिक है तो उसे भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा । यदि उसे भारत की नागरिकता चाहिए तो उसे पहले अन्य देश की नागरिकता छोड़ना होगा ।
क्या कोई भारतीय दो देशों की नागरिकता ले सकता है
संशोधित नागरिकता अधिनियम 1955 के मुताबिक कोई भी भारतीय नागरिक दो देशों की नागरिकता नहीं ले सकता। अगर वह ऐसा करता है तो नागरिकता अधिनियम की धारा 9 के मुताबिक उसकी नागरिकता समाप्त की जा सकती है। प्रावधान के मुताबिक अगर भारत का कई भी नागरिक रहने के लिए या किसी और कारण से अन्य देश की नागरिकता ले लेता है तो पहले देश की नागरिकता को रद्द कर दिया जाता है।
परेशानी का सबब बनी दोहरी नागरिकता
भारत-नेपाल के बीच सदियों से पुराने रोटी-बेटी के रिश्ते की आड़ में हित साधने वालों की अब खैर नहीं है। नेपाल सरकार द्वारा ऐसे लोगों की कुंडली तैयार की जा रही है जिन्होंने भारत और नेपाल की दोहरी नागरिकता ले रखी है।
परेशानी का सबब बनी दोहरी नागरिकता
महराजगंज। भारत-नेपाल के बीच सदियों से पुराने रोटी-बेटी के रिश्ते की आड़ में हित साधने वालों की अब खैर नहीं है। नेपाल सरकार द्वारा ऐसे लोगों की कुंडली तैयार की जा रही है जिन्होंने भारत और नेपाल की दोहरी नागरिकता ले रखी है। नेपाल सरकार ने अपने यहां रह रहे 70 लोगों के बारे में भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र भेज कर जानकारी मांगी है।
भारत.-नेपाल के बीच खुली सीमा के चलते सामाजिक और व्यापारिक संबंध वर्षाे से कायम हैं। इसका लाभ लेकर सीमावर्ती महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच, उत्तराखण्ड आदि जिलों के बड़ी संख्या में लोगों ने नेपाल की भी नागरिकता ले ली है।
यही हाल नेपाली क्षेत्र के नवलपरासी, रुपन्देही व कपिलवस्तु जिलों में रह रहे नेपाली मूल के लोगों का भी है। वहां के अनेक लोग भारत में भी जमीन जायदाद खरीदकर यहां की नागरिकता हासिल कर चुके हैं।
अब स्थिति यह है कि दोहरी नागरिकता वाले लोग दोनों देशों में वोट देने के साथ ही अन्य लाभ ले रहे हैं। इसी को रोकने के लिए नेपाल सरकार अभियान चलाकर दोहरी नागरिकता वाले लोगों को चिह्नित कर रही है। फिलहाल 70 लोग नेपाली सुरक्षा एजेंसी के रडार पर हैं, जिनके बारे में भारतीय गृह मंत्रालय से जानकारी मांगी गई है।
चुनाव को भी करते हैं प्रभावित
सीमावर्ती जिलों में रह रहे दोहरी नागरिकता वाले दोनों देशों के तकरीबन 50 हजार लोग दोनों देशों में होने वाले छोटे.बड़े चुनाव को भी प्रभावित करते हैं। खुली सीमा के चलते इस कार्य में उन्हें बहुत मुश्किल भी नहीं होती है। हाल में ही संपन्न हुए नेपाल के संविधान सभा चुनाव व भारत के लोक सभा चुनाव में भी इनमें से अधिकतर ने वोट डाले।
तीन जिले सबसे अधिक प्रभावित
नेपाल का रुपन्देही, नवलपरासी व कपिलवस्तु जिले में दोहरी नागरिकता वाले लोगों की भरमार है। यही हाल भारत के सोनौली, नौतनवा, ठूठीबारी, बरगदवा, निचलौल,उत्तराखण्ड के देहरादून, पिथौरागढ, अल्मोड़ा आदि कस्बों का भी है। अकेले नौतनवा के पहाड़ी मुहल्ला में बड़ी संख्या में नेपाली मूल के लोग रहते हैं।

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क्या कहते हैं सी.डी.ओ रूपन्देही, नेपाल!
दोहरी नागरिकता वाले लोगों की जांच के लिए टीम बनाई गई है। उनकी सूची तैयार की जा रही है। ऐसे कुछ लोग चिह्नित भी किए गए हैं। इस बाबत भारत सरकार से सहयोग लेकर ऐसे लोगों के बारे में जानकारी एकत्रित की जा रही है। .बालकृष्ण पंथी, सीडीओ, रुपन्देही, नेपाल।
भारत व नेपाल दोनों देशों की नागरिकता लिए लोगों की जांच कराने का निर्देश दिया गया है। जहां तक दोनों देशों की मतदाता सूची में नाम होने की बात है तो यह भी जांच के दायरे में हैं। यदि जांच में ऐसे लोग पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ प्रावधानों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। ‘‘सुनील कुमार श्रीवास्तव’’ डीएम, महराजगंज
दोहरी नागरिकता ? क्या नेपाल में इसकी अनुमति है ?
नेपाल, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आश्चर्यजनक हिमालयी परिदृश्य के लिए जाना जाता है दोहरी नागरिकता पर एक अद्वितीय रुख रखता है। नेपाल के नागरिकता कानून, जैसा कि नागरिकता अधिनियम, 2006 द्वारा निर्धारित है, वर्तमान में नेपाली नागरिकों के लिए दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। इस नीति का अर्थ है कि यदि कोई नेपाली नागरिक किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करता है, तो उसे अपनी नेपाली नागरिकता त्यागनी होगी।
हालाँकि इस नियम के कुछ अपवाद हैं। 2015 में नेपाली संविधान में किए गए संशोधन के अनुसार, गैर-आवासीय नेपाली (एनआरएन) को दोहरी नागरिकता का एक रूप रखने की अनुमति है। यह विशेष प्रावधान, जिसे अक्सर ‘‘एनआरएन नागरिकता’’ कहा जाता है विदेश में रहने वाले नेपाली मूल के लोगों को अपने गृह देश के साथ संबंध बनाए रखने की अनुमति देता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हालांकि एनआरएन नागरिकता नेपाली नागरिकों के समान कई अधिकार प्रदान करती है, लेकिन यह सीमाओं के साथ आती है। एनआरएन को वोट देने, सार्वजनिक पद के लिए चुनाव लड़ने या नेपाल की सिविल सेवा में काम करने की अनुमति नहीं है।
दोहरी नागरिकता पर नेपाल के रुख के पीछे कारण जटिल और बहुआयामी हैं, जो देश के सामाजिक (राजनीतिक परिदृश्य ) में निहित हैं। इस नीति का उद्देश्य देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को संरक्षित करना, इसकी संप्रभु पहचान की रक्षा करना और विभाजित राष्ट्रीय वफादारी से संबंधित संभावित मुद्दों से बचना है।

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