नए भू-कानून में राज्य के स्थायी निवासी पर जमीन खरीदने की कोई सीमा नहीं।
देहरादून: उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों से लगातार हिमाचल प्रदेश जैसा सख्त भू-कानून बनाने की मांग हो रही है। इसी बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया है कि उनकी सरकार वृहद भू-कानून लाने जा रही है। अगले साल बजट सत्र में कानून का प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ अन्य भूमि के नियम तोड़ने वालों की भूमि जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी।
उत्तराखंड उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम के तहत राज्य से बाहर का व्यक्ति बिना अनुमति के उत्तराखंड में 250 वर्गमीटर जमीन खरीद सकता है। लेकिन राज्य का स्थायी निवासी के लिए जमीन खरीदने की कोई सीमा नहीं है। वहीं उत्तराखंड में उद्योग लगाने की योजना बना रहे निवेशकों में सख्त भू-कानून के लागू होने पर जमीन को लेकर संशय है। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि निवेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जमीन के लिए निवेशकों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
दिसंबर 2023 में हुए वैश्विक निवेशक सम्मेलन में प्रदेश सरकार ने 3.56 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव पर एमओयू किए थे। इसमें 72 हजार करोड़ के निवेश प्रस्तावों की ग्राउंडिंग हो चुकी है। प्रदेश सरकार ने निवेश के लिए छह हजार एकड़ का लैंड बैंक भी तैयार किया है।
प्रदेश सरकार का कहना है कि जिन लोगों ने उद्योग या अन्य व्यावसायिक के नाम पर जमीन खरीदी। लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं किया या जिस उद्देश्य के लिए जमीन दी गई थी, उससे इतर इस्तेमाल किया है, तो ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई कर खरीदी गई जमीन सरकार में निहित की जाएगी। इससे प्रदेश सरकार के पास नए निवेश के लिए लैंड बैंक तैयार होगा। प्रदेश में कई बड़े निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने का काम चल रहा है। इसके लिए निवेशकों को जमीन की जरूरत है।
हिमाचल में बाहरी लोगों के लिए जमीन खरीद के विशेष प्रावधान
आपको बताते हैं कि हिमाचल के भू-कानून में ऐसे क्या प्रावधान हैं, जो उत्तराखंड के लोगों की पहली पसंद बन गया है। हिमाचल में जमीन खरीद का टेनेंसी एक्ट लागू है। इस एक्ट की धारा-118 के तहत कोई भी गैर हिमाचली व्यक्ति हिमाचल में जमीन नहीं खरीद सकता है। अगर आप गैर हिमाचली हैं तो हिमाचल में जमीन खरीदने के लिए आप राज्य सरकार की इजाजत के बाद यहां गैर कृषि भूमि खरीद सकते हैं। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के टेनेंसी और लैंड रिफॉर्म्स रूल्स 1975 की धारा 38ए(3) के तहत आपको राज्य सरकार को यह बताना होता है कि आप किस मकसद से जमीन खरीद रहे हैं। राज्य सरकार उस पर विचार करती है। इसके बाद आपको 500 वर्ग मीटर तक की जमीन खरीदने की अनुमति मिल सकती है।
कृषि भूमि हिमाचल के गैर कृषक भी नहीं खरीद सकते
हिमाचल में कृषि भूमि खरीदने की अनुमति तब ही मिल सकती है जब खरीदार किसान ही हो और हिमाचल में लंबे अरसे से रह रहा हो। हिमाचल प्रदेश किराएदारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 के 11वें अध्याय ‘कंट्रोल आन ट्रांसफर आफ लैंड’ की धारा-118 के तहत गैर कृषकों को जमीन हस्तांतरित करने पर रोक है। यह धारा ऐसे किसी भी व्यक्ति को जमीन हस्तांतरण पर रोक लगाती है, जो हिमाचल प्रदेश में किसान नहीं है।