गुप्त अनुशासनात्मक कार्रवाई कर मामलो को सुलटाते का हो रहा प्रयास!
प्राचार्य को सहायक आयुक्त का है संरक्षण प्राप्त -आयुक्त के खिलाफ गंभीर जांच को लगातार टालते रहने का लगा आरोप!
धनबाद/झारखण्ड (लम्बा सफर ब्यूरो): धनबाद जिले के केंद्रीय विद्यालयों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का आरोप पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना दिया है। वहीं विद्यालय में नामांकन को लेकर खरीद -फरोख्त में अनियमितताएं और छात्रों के गलत प्रवेश के मामले भी सामने आए हैं। जानकारी के अनुसार विद्यालय के प्राचार्य के बिना अध्यक्ष (chairman) की अनुमति के दिल्ली जाने की घटना सामने आई, लेकिन जब एक गोपनीय सूचना पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने 6 नवंबर को अचानक निरीक्षण किया। तब प्राचार्य एक दिन पहले 5 नवंबर को ही लौट आए। जिससे वह जांच से बच गए।
पिछले तीन महीनों से केवीएस मुख्यालय के निर्देश पर रांची क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारियों द्वारा कई जांचें की गई हैं। इन जांचों के दौरान कुछ कर्मचारियों को रांची बुलाकर प्राचार्य के खिलाफ बयान दर्ज किए गए और अधिकारियों के मोबाइल तथा स्मार्टवॉच भी जब्त किए गए। इसके अलावा, दो कंपनियों के साथ वित्तीय अनियमितताएं भी सामने आई हैं।
इसी बीच यह भी सामने आया है कि दो कंपनियों के साथ वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। जिनमें से एक कंपनी का संबंध एक कर्मचारी के पति से बताया जा रहा है। वहीं कुछ शिक्षकों पर आरोप है कि वे विद्यालय के आयोजनों में कैटरिंग सेवाएं प्रदान करते हैं और केवल उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर कर घर चले जाते हैं, जबकि कक्षाएं नहीं लेते। जब इन लापरवाहियों की जानकारी अधिकारियों को मिली, तो गुप्त रूप से अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। सबसे चिंताजनक बात रही कि विद्यालय के अध्यक्ष को इन गंभीर गतिविधियों की जानकारी बिल्कुल नहीं है।
ऐसा प्रतीत होता है कि केवीएस मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालय इस मामले को गोपनीयता में संभाल रहे हैं और केवल बंद पत्रों के माध्यम से चेतावनी जारी कर रहे हैं। इस स्थिति ने हितधारकों और विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों को आश्चर्य में डाल दिया है। वे जानना चाहते हैं कि आखिर विद्यालय में क्या चल रहा है और इस मामले को इतनी गोपनीयता से क्यों बरती जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, इन अनियमितताओं में प्राचार्य को क्षेत्रीय कार्यालय की सहायक आयुक्त सुजाता मिश्रा का संरक्षण प्राप्त है, जो गंभीर आरोपों को नजरअंदाज करने और जांच में देरी की रणनीति अपनाती रही हैं। स्कुल प्राचार्य को निलंबित कर एक छोटे विद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन सहायक आयुक्त ने बिना विद्यालय अध्यक्ष को सूचित किए उनकी अनुपस्थिति को नियमित कर दिया और उनके खिलाफ गंभीर जांच को लगातार टालती रहीं।
यह स्थिति /घटनाए सवाल उठाती है कि क्या धनबाद के केन्द्रीय विद्यालय सुरक्षित हाथों में हैं? अध्यक्ष को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी जा रही है। ऐसी गंभीर अनियमितताओं को इतनी गुप्त तरीके से क्यों निपटाया जा रहा है? एक प्रतिष्ठित सरकारी संस्थान में जनहित से जुड़े मामले के तहत इस तरह की गंभीर अनियमितताएं अस्वीकार्य हैं। हितधारक विद्यालय की गरिमा और निष्पक्षता को बहाल करने व अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए सही जांच व सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।